मेरे अल्फ़ाज़

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(1) दिल में तुम्हारे भारत मातालहु में हिंदोस्ता होधर्म के नाम पर ना लड़ाईजाती के नाम पर ना पिटाई होनल से बहनें वाला सामान्य पानी भी तुम्हारे लिए गंगा होहर घर तिरंगा होहर घर तिरंगा हो(2) जिसे देखकर मेरी आंखें पलकें मीचाना भूल जाएवो नजर हो तुमजिसे सुनकरधक..धक..धक..धक... मेरे दिल कि धड़कनसुनाई देने लगे मुझे... वो आवाज़ हो तुमजिसे लिखकर.. वाहवाही कि मुझपेबरसात हो जाए.. वो ग़ज़ल हो तुम(3)कि चल पड़े है अब उन रास्तों पेजहां तेरे कदमों के निशान ना मिलेतूं क्या, तेरे जैसा कोई और ना मिलेतूं यादों में तो आएपण मेरी आदत ना बन पाएतूं ख्वाबों में