हडसन तट का ऐरा गैरा - 22

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घना अंधेरा था। ये दो - तीन घने पेड़ों का एक झुरमुट सा था जो रात के इस वीराने में सहरा के किसी नखलिस्तान की भांति उन आकाश में उड़ते पंछियों को अकस्मात दिखाई दे गया था। आराम के लिए यहीं ठहरने को सब उतर गए। आते ही ऐश को बहुत गहरी नींद आई थी। शायद कई दिनों तक ठीक से न सो पाने का ही नतीजा था। चारों तरफ़ सन्नाटा पसरा हुआ था। जो भी आवाज़ थी वो इसी दल के मुसाफिरों की कानाफूसी सी थी। जैसे कई बार देर रात को स्टेशनों पर रेल में चढ़ने वाले मुसाफिरों