आँगन की चाँदनी - आखिरी भाग

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दोपहर होगयी थी जब आरोही वापस हॉस्पिटल आयी तो राहुल के घरवालों में से कोई भी वहां मौजूद नही था। आरोही दरवाज़ा खोल कर चुपके से अंदर चली गयी, अंदर जाने के बाद आरोही ने देखा मेज़ पर खाने का टिफ़िन और फल रखा था, आरोही सोचने लगी लगता है कोई अभी आ कर गया है सोचते से सोचते करोहि बैठने लगी तो आहट हुए,राहुल ने अपनी आंखें खोली लेकिन गहरे अंधेरे के इलावा उसे कुछ भी नज़र नही आया। राहुल ने पूछा, कौन है यहां पर?? आरोही: आप तो मेरी आहट भी पहचान जाते है। राहुल: अच्छा तो आप