मध्यमवर्गीय मेरे पिता एक लम्बी रेंग के बाद भी जिस दुनिया के पड़ोस तक न पहुँच सके थे, उस दुनिया में आई.पी.एस. की प्रवेश परीक्षा में प्राप्त हुई मेरी सफलता मुझे एक ही छलाँग में उतार ले गई। बधाई के साथ नसीहत देने वालों की बातों में जो बात मेरे दिमाग में घर कर गई वह थी, ससुराल बनाते समय मुझे पत्नी की सम्पदा देखनी चाहिए या फिर उसके सम्पर्क-सूत्र। मैंने सम्पदा चुनी और स्वर्णा से शादी कर ली। उसके बिल्डर पिता मेरी तरह सेल्फमेड थे। फैमिली मेड नहीं। उनका इमारती कारोबार मामूली ठेकेदारी से शुरू हुआ था, किन्तु स्वर्णा