अतिथियों में सबसे पहले सलोनी आंटी आई हैं। साढ़े बारह पर। हालाँकि अपने विवाह की इस पच्चीसवीं वर्षगाँठ पर पापा ने इस क्लब में लंच का आयोजन एक से तीन बजे तक का रखा है। ’’पहली बधाई हमारे मेजबान की बनती है या उसके ममा-पपा की ?’’ निस्संकोच उन्मुक्त भाव से व अपना गाल मेरे गाल पर ला टिकाती हैं। अतिथियों को निमन्त्रण-पत्र मेरी ओर से गए थे, जिस कारण अपनी नौकरी से दो दिन की छुट्टी लेकर मैं इधर आज सुबह पहुँच लिया था। ’’बधाई तो हम सभी की बनती है,’’ आंटी की बाँहों के फूल माँ अपनी बाँहों