भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 22

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और करीब सात बजे हमारे लिए खाना लगाया गया।हलवा,पूड़ी,सब्जी और खाना खाने के बाद भाई बाबूजी से बोला था,"कोई साधन हो तो हम चले जाएं।"कुछ देर बाद एक मालगाड़ी से हमे भेज दिया।रास्ते मे भाई मुझसे बोला,"लड़की कैसी है?""मुझे शादी करनी ही नही है""लड़की मे क्या कमी है।खाना कितना स्वादिष्ठ बनाया था।मुझे तो पसन्द है।मैं हॉ कर देता हूँ।""तू करे तो कर दे"मैने भाई को जवाब दिया था।और ताऊजी हमारा इन्तजार कर रहे थे।जब उन्होंने मेरी राय पूछी तब जगदीश भाई ने हां कर दी।और इस तरह रिश्ते वाली बात हुई।उधर लड़की का नाम इंद्रा ।जब हम वहाँ से आ