विक्रम-" मेजर साहब, कुछ भी हो, आपसे अनजाने में ही सही, कुछ गुनाह हो ही गए है। पर मैं आपका बहुत सम्मान करता हूँ। एक बार प्रोसीजर के तहत मुझे आपको गिरफ्तार करना होगा पर मैं आपको तकलीफ न देते हुए अपने रिस्क पर आपको यहीं छोड़ रहा हूँ। बस आप टाइम टू टाइम टच में रहिएगा और शहर से बाहर न जाइएगा जब तक असली मुजरिम पकडे़ नहीं जाते." फिर गौतम की और देखते हुए विक्रम बोला-" अब इस चूजे और आपके बयानों से बहुत कुछ क्लियर हो गया है। अब उन गुरूजी और उनके चमचों की खैर