…बंशी की बातें सुन श्यामा मुस्कुरायी और कहा – “काका, बचपन में माँ ने सिखाया था कि पालनहार ने जितना दिया है उसी को अपनी नियती मान ईमानदारी से आगे बढ़ने का प्रयास करती रहना। परिस्थिति चाहे कितनी भी बुरी आए, चाहे कितना भी दु:ख सहना पड़े, कभी किसी का अनिष्ट मत करना! माँ का साथ तो बचपन में ही छूट गया! पर उसकी सीखायी बातें मैंने अभेऐ तक गांठ बांध रखी है। फिर ननद-ननदोई भी कोई पराए थोड़े ही है, वे भी तो अपने ही है न! वे जैसा भी करते हैं वो उनका स्वभाव है और मैं जो