हडसन तट का ऐरा गैरा - 4

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ऐश की वो प्रवासिनी मां कई शामों के ढलते अंधेरे अपने जोड़ीदार उस मेहमान के साथ गुजार कर आख़िर एक दिन घनी घास के उस कटोरेनुमा ठंडे गड्ढे में बैठ गई। मेहमान कुछ दिन तो दूर बैठा जब- तब उसे टुकुर - टुकुर देखता रहा फिर उससे दूर हो गया। मां के पास अब अपने अंडे सेने का नया काम जो आ गया था। वह ख़ाली कहां थी।हां, उसका पेट अलबत्ता ज़रूर खाली हो गया जब दो प्यारे से गोल - मटोल अंडे उसके जिस्म से निकल कर सुनहरी घास के बीच बने उस छोटे से गड्ढे में आ गए।सर्दियां