सपने - (भाग-5)

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सपने.....(भाग-5)"आस्थू तूने कुछ तो कारास्तानी की है, जो शैतानों जैसे मुस्कुरा रही है".....कमरे में आते ही स्नेहा ने दरवाजे को लॉक करते हुए पूछा......आस्था जवाब न दे कर बस मुस्करा रही थी। "अब बस कर मुस्कराने की और मुझे बता क्या माजरा है"? "ओ मेरी नेहु आज मैंने उस लड़के को सब सच बता दिया कि मुझे शादी नहीं करनी, मुझे थियेटर और फिल्मों में काम करना है"..... स्नेहा उसकी बात सुन कर थोड़ी परेशान हो गयी," यार आस्थू सच कह देना तो अच्छी बात है, पर अगर उन लोगो ने तेरे पापा को सब बता दिया तो तुझे बताने