….. कुछ ख्वाहिशें….

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ज़िन्दगी हर सू एक कहानी सी है , हर पल जाने कितना कुछ कहती है समझना तो दूर, हम उसे एहसास भी नहीं करना चाहते आज ही तो कहा था पत्नी ने कहीं साथ चलने को कहीं साथ घूमने को, मैंने वादा तो किया पर पूरा नहीं शायद..मैं उसके उस स्पर्श को समझ ही नहीं पाया, क्यूँकि..शायद वो एक बोली मात्र थी जिसे मैं चाहे अपना लू..या सुन के अनसुना कर दू । हाँ..शायद कुछ ऐसा ही रहा होगा। मगर अक्सर हम इन बातों पर ध्यान नहीं देते और उस इच्छा को तवज्जो नहीं देते, तब शायद..एक