उजाले की ओर –संस्मरण

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इस संसार का हर इंसान इस ‘क्यू’ में खड़ा साँसें ले रहा है | वह जग रहा है, वह सो रहा है |वह भाग रहा है, वह रूक रहा है, वह थम रहा है-जम रहा है---- लेकिन जिजीविषा की ‘क्यू’ सबके भीतर है | इसीलिए वह ज़िंदाहै | साँसें कुछ सवाल पूछती हैं, वह कभी उत्तर दे पाता है, कभी नहीं लेकिन उसका हृदय ज़रूर धड़कता है | वह कुछ बातें आत्मसात करता है, उन्हें अपने सलीके से कहने की कोशिश करता है | हाँ, वह ज़िंदा रहता है, यह विभिन्न प्रकार की जिजीविषा ही उसे ज़िंदा रखती है |