भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 11

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तेहरवीं तक रिश्तेदार रुके और फिर चले गए।दोनो ताऊजी अपने बेटों इन्द्र और रमेश को साथ ले गए।दोनो नौकरी कर रहे थे।पर उन्होंने सोचा होगा अब इनकी तनखाह यहां खर्च होगी।तरहवी के बाद हम बाजार गए तब मेरे साथ राम अवतार जीजाजी साथ थे।वह बोले कमजोर हो गया है।वजन तौल ले।वजन के साथ जो टिकट आया उस पर लिखा था--आपका जीवन साथी सुंदर होगा लेकिन उसके साथ जीवन काटना आसान नही होगा।हमारी कॉलोनी में अग्रवालजी रहते थे।वह रेलवे में पी डब्लू आई थे।उन्हें जब पता चला में नौकरी करना चाहता हूं तो उन्होंने मुझे बुलाकर अपने आफिस में केजुल लेबर