भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 9

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और पिताजी को आराम आया तब नौ बजे वह बोले,"दिवाली है,पूजा नही करोगे?"और पिताजी ने(हम उन्हें बापू कहते थे)हम सब को बैठाकर लक्ष्मी पूजन किया फिर हमारे साथ खाना खाया और फिर बोले,"फटाके चला लो।"फटाके दीवाली से कई दिन पहले आ जाते थे।पिताजी ने बरामदे में बैठकर हम सब से फटाके चलवाये थे।काम सब हो रहे थे।लेकिन मेरी माँ के चेहरे पर भी अनहोनी की आशंका साफ दिख रही थी।और फिर हम लोग सो गए।नींद मेरी और माँ की आंखों में नही थी।सुबह चार बजे पिताजी के पेट मे दर्द उठा।हमारे पीछे वाली लाइन में क्वाटर में काशी राम गौतम