इतना कह कर नीलिमा वहां से चली गयी पर नीलिमा की यह बात मानो वहां की वादियां बार बार दोहोरा रहीं थीं। जिसको सुनकर नीरज स्तब्ध रह गया उसके कानों में बस नीलिमा की आवाज गूंज रही थी"हम गरीबो के लिए जान की कीमत अनमोल होती है। तुम अमीर क्या जानो जान की कीमत अपने पैसे अपने पास रखो क्योंकि जब भी तुम इन पैसों को देखोगे तुम्हें याद रहेगा कि तुम्हारी जिंदगी किसी गरीब की कर्जदार है। ये मेरा एहसान रहा तुमपर। " उसकी गरीबो को लेकर जो विचार धारा थी वो बदलने की ओर इशारा कर रही