ये इश्क नहीं आसां

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ऐसा कहा जाता है कि "जब इंसान प्यार में होता है तो थोड़ा ज्यादा जिंदा होता है" लेकिन राज और नन्दिनी के लिए, उनकी प्रेम कहानी ने उन्हें कई रंग दिखाए। उलझे हुए अपनी अपनी जिंदगी में सोचा इश्क उन्हें सुलझा देगा पर उनकी गिरहें आपस में यूँ उलझी की....राज काफी समय पहले नन्दिनी से एक ब्रेकफास्ट शॉप पर टकराया था। वे दोनों रोजाना की तरह अपने अपने काम पर जा रहे थे और उस दिन काम पर देरी होने के वजह से ब्रेकफास्ट करने के लिए संयोग वश एक ही आउटलेट पर रुक गए... लेकिन नन्दिनी हमेशा की तरह