बंद खिड़कियाँ - 10

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अध्याय 10 कार्तिकेय और नलिनी इसी बात पर वाद-विवाद कर रहे थे। उसमें मुझे शामिल नहीं होना है ऐसा सोचकर सरोजिनी मौन रही। "अरुणा के बारे में हमेशा कुछ न कुछ बोलते रहना तुम्हें बंद करना पड़ेगा" कार्तिकेय ने कहां। "उसकी उम्र हो गई है। वह एक अलग औरत है इस बात को ही तुम भूल जाती हो।" "यह देखिए, इस भीड़ में रहते समय कोई अलग औरत या पुरुष नहीं हो सकता। भीड़ हमारे बारे में क्या सोचती है उसके बारे में डरते रहना चाहिए।" "अभी क्या करना है कह रही हो ?"  नलिनी सिर झुका कर भुनभुनाने लगी।