बंद खिड़कियाँ - 4

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अध्याय 4 नलिनी को तेजी से अंदर जाते सरोजिनी ने देखा। 'सब परेशानियों के लिए इस लड़के को जिम्मेदार यदि नलिनी मानती है तो यह उसकी बेवकूफी है' ऐसा उसने सोचा। शंकर के चेहरे पर आज खुशी नहीं थी उसने इसे महसूस किया। "नमस्कार बड़ी अम्मा" कहकर एक हल्की मुस्कान के साथ नमस्कार किया।  "नमस्कार। आओ बेटा" वह बोली। "हेलो" कहकर आगे आकर कार्तिकेय ने उससे हाथ मिलाया। "अमेरिका एंबेसी में अरुणा का एक अपॉइंटमेंट है। मैं काउंसलर को जानता हूं। उसे लेकर जाने के लिए आया हूं" शंकर बोला। "अरुणा अभी आ जाएगी, आप बैठिए। मुझे ऑफिस के लिए