बंद खिड़कियाँ - 3

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अध्याय 3 ‘किसी ने जगाया हो ऐसे सरोजिनी की आंखें खुली। खिड़की के कांच के द्वारा सूर्य का प्रकाश अंदर आया। कितनी देर सो गई यह सोच कर उसे आश्चर्य हुआ। थोड़ी देर तो उसे समझ नहीं आया कि मैं कहां हूं। यह वर्तमान काल है या बीता काल? नीला वेलवेट वाला गद्दा नहीं था । ऊपर लटकने वाले झूमर वाली लाइटें भी नहीं थी । यह वर्तमान समय है। कई युगों के बाद मैंने दूसरा जन्म लिया है। उस समय की सरोजा में और इस जीवन के तरीके में कोई संबंध नहीं है। मन बदला नहीं?’ सरोजिनी अपने मन