गोलू भागा घर से - 18

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18 अलविदा रंजीत जिस दिन रंजीत को मुंबई की गाड़ी पकड़नी थी, गोलू उसे रेलवे स्टेशन पर छोड़ने गया। रंजीत का रास्ता उसे भले ही पसंद न हो, पर रंजीत के अहसान को वह कैसे भूल सकता था? पहली बार रंजीत ने ही उसके भीतर दिल्ली में जीने की हिम्मत और हौसला भर दिया था। उसी ने गोलू को हर हाल में सिर उठाकर हिम्मत से जीना सिखाया था। इसलिए उसी ने रंजीत से कहा था, “रंजीत भैया, मैं तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाऊँगा।” और आज वह फिर से एक बार पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर था। पुरानी दिल्ली रेलवे