गोलू भागा घर से - 13

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13 क्या कह रहे हो बेटा? एक-एक दिन करके कोई महीना भर बीता। गोलू का मन कुछ उखड़ा हुआ था। उसने मास्टर जी के पास जाकर कहा, “मास्टर जी, आप मेरी महीने भर की तनखा दे दीजिए। मैं चला जाऊँगा।” सुनकर मास्टर गिरीशमोहन शर्मा हक्के-बक्के रह गए। भीगी हुई आवाज में बोले, “यह क्या कह रहे हो बेटा?...मैंने तो तुम्हें अपने बेटे जैसा ही समझा है।” इस पर गोलू ने साफ-साफ कहा, “मैडम को शायद मैं अच्छा नहीं लगता। वे मुझे चोर समझती हैं। ऐसे में मेरा यहाँ रहना ठीक नहीं है।” फिर गोलू ने पूरा किस्सा भी सुना दिया