कोयला भई ना राख--भाग(३)

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अम्बिका रात भर सोचती रही और जब सुबह डाक्टर शैलजा उसके पास आई तो वो बोली.... मैनें फैसला कर लिया है डाक्टर! कैसा फैसला? डाक्टर शैलजा ने पूछा।। यही कि मैं उन बच्चों के साथ कुछ दिन रहूँगी,अम्बिका बोली।। मुझे तुमसे ऐसी ही उम्मीद थी,डाक्टर शैलजा बोलीं... लेकिन मेरी एक शर्त है,अम्बिका बोली।। कैसी शर्त? डाक्टर शैलजा बोलीं यही कि मैं भारत छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगीं,अम्बिका बोली।। ठीक है,मैं उनसे बात करके तुम्हें बताती हूँ,डाक्टर शैलजा बोली।। जी! आप बात करके मुझे बताइएं कि वें क्या चाहते हैं? अम्बिका बोली।। और फिर डाक्टर शैँलजा अम्बिका के कमरें से चली गईं,दोबारा