अपंग - 23

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23 बाबा गोद में मुन्ने को चिपकाए बैठे थे | माँ डाइनिंग टेबल पर बैठकर उसका इंतज़ार कर रही थीं | "काकी ---" उसने बिम्मो को छोड़कर महाराजिन काकी का पल्लू पकड़ लिया था | "कैसी हो बिटिया ?" उन्होंने भानु के सर पर हाथ फेरा | "आपकी चाय के बिना कैसी हो सकती हूँ काकी ---?" "तो चलो, आओ चाय पीयो ---" महाराजिन ने कहा | "चलिए, पिलाइए --अरे ! आपने तो क्या-क्या सजा दिया काकी --इतना सारा रोज़ खिलाओगी तो फट जाऊँगी मैं ?" कहकर वह ज़ोर से हँसी और कुर्सी खिसकाकर बैठने लगी ; "ओय ! फिरंगन