श्रापित रंगमहल--भाग(१)

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मानसरोवर गाँव के बसस्टैंड पर बस रूकी और उसमें से श्रेयांश उतरा,उतरकर इधरउधर देखने लगा तभी उस के पास आकर एक व्यक्ति ने पूछा.... जी!कहीं आप चित्रकार श्रेयांश साहब तो नहीं।।जी! मैं ही श्रेयांश हूँ और आप! श्रेयांश ने उस व्यक्ति से पूछा....जी! मैं शम्भू !मुझे गाँव के मुखिया जी ने आपको लेने भेजा है,अन्जान गाँव और वैसे भी शाम ढ़ल चुकी है ऊपर से आप ठहरे शहरी बाबू कहीं रास्ता ना भटक जाएं इसलिए..शम्भू बोला।।अच्छा....अच्छा....क्या मुखिया साहब तक ख़बर पहुँच गई थी कि मैं आ रहा हूँ?श्रेयांश ने पूछा।।जी! शहर में उनके कई जानने वाले रहते हैं तो आपके