भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 4

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और यहाँ पर एक शादी का जिक्र जरूरी है।जैसा मैं पहले कह चुका हूँ। मेरे तीन ताऊजी थे।कन्हैया लाल सबसे बड़े।यह रेलवे में ड्राइवर थे।दूसरे देवी सहाय जो खेती करते और अविवाहित थे।तीसरे गणेश प्रशाद और यह मास्टर थे।मेरे पिता रेलवे में आर पी एफ में इंस्पेटर थे।गणेश प्रशाद के बड़े बेटे और मेरे चचेरे जगदीश भाई की शादी थी।उन दिनों पांच या छः दिन की शादी होती थी।इनकी शादी मेहसरा गांव से हुई थी।जैसा मैं पहले बता चुका हूँ।उन दिनों न इतनी ट्रेन थी और न ही हर जगह बस जाती थी।बारात भी सौ से ऊपर हो जाती क्योकि