राज-सिंहासन--भाग(१५)

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अश्व पर बैठने से पूर्व निपुणनिका ने अपने खुले केशों को बाँधने की चेष्टा की तो सहस्त्रबाहु बोला.... राजकुमारी निपुणनिका इन्हें ऐसे ही खुला रहने दीजिए,आप खुले केशों में अत्यधिक सुन्दर दिखतीं हैं,तब निपुणनिका ने अपने केशों को यूँ ही खुला छोड़ दिया एवं सहस्त्रबाहु के पीछे अश्व पर बैठ गई..... सहस्त्रबाहु ने अपना अश्व पवन के वेग से दौड़ाना प्रारम्भ किया तो निपुणनिका ने भय से सहस्त्रबाहु को दृढ़ता से अपने बाहुपाश में जकड़ लिया,तब सहस्त्रबाहु ने निपुणनिका से पूछा.... आप भयभीत हो गई क्या राजकुमारी? जी! मुझे भय लग रहा है,अश्व की गति अत्यधिक तीव्र है,निपुणनिका बोली।। किन्तु