अय्याश--भाग(३४)

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बंसी कमरें के भीतर आते ही बोला.... लीजिए! आप दोनों का नाश्ता,खा लीजिए, काका! तुम नाश्ता रख दो,मैं बाबू जी लिए परोस देती हूँ,संगिनी बोली।। ठीक है बिटिया! मैं बाद में थालियाँ ले जाऊँगा,इतना कहकर बंसी नीचें चला गया,बंसी के जाते ही संगिनी ने फिर से सत्या से पूछा.... आप मुझे पसंद करते हैं या नहीं।। मैनें कहा ना! मैं तुम्हारे सवाल का जवाब नहीं दे सकता।। लेकिन क्यों?संगिनी बोली।। क्योंकि मैं जिसे भी पसंद करता हूँ वो मुझसे हमेशा बिछड़ जाते हैं,चाहे मेरा भाई हो ,चाहें मेरी माँ हो,चाहें बाबूजी हों या फिर और कोई,डर लगने लगा मुझे अब