कुलभूषण की रात दो बजे की ट्रेन थी इसलिए वो लगभग रात बारह बजे रेलवें स्टेशन पहुँच गया,उसने सोचा अकेले बैठकर क्या करूँ? इसलिए प्लेटफार्म से थोड़ा दूर जाकर वो एक बेंच ढ़ूढ़कर उसमें बैठ गया फिर उसने अपने बैग से एक हाँरर कहानियों की किताब निकाली और पढ़ने लगा ,कुछ देर तक किताब पढ़ने के बाद उसे सिगरेट पीने की तलब लगी तो उसने सिगरेट का पैकेट निकाला उसमें से एक सिगरेट निकालकर उसे लाइटर से जलाया और पीने लगा।। तभी उसकी बेंच में ना जाने कहाँ से कम्बल लपेटे हुए एक बूढ़ा आकर बैठ गया और उससे बोला.....