हमसफ़र...

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ये क्या चाय अभी तक रखी है तुमने पी नहीं?अब मैं दोबारा बनाकर नहीं लाऊँगीं,शिवमति बोली।। मेरा ही काम करने में तुम्हें आफ़त आती है,सबके काम तो लोगों से बिना पूछे ही कर दोगी,गिर्वाण दत्त मिश्रा जी बोले.... हाँ....हाँ....तुम्हारे काम तो जैसे बगल वाले मरघट की चुड़ैल करने आती है,शिवमति बोली।। जिस घर में पहले से एक खतरनाक चुड़ैल मौजूद हो तो भला दूसरी चुड़ैल कैसे कदम रखेगी,गिर्वाण जी बोले.... हाँ....हाँ...मैं तो खून पीने वाली पिसाचिनी हूँ,चुड़ैल तो छोटी होती है,शिवमति बोली।। अच्छा....अच्छा....ये सब तुम्हारे खानदान से होगीं तभी तो तुम्हें ज्यादा पता है,गिर्वाण जी बोले.... सुनो जी! मैं अभी