“विचार व्यक्तित्त्व की जननी है, जो आप सोचते हैं बन जाते हैं”-- स्वामी विवेकानन्द.. आध्यात्मिक जीवन एक ऐसी नाव है जो ईश्वरीय ज्ञान से भरी होती है,यह नाव जीवन के उत्थान एवं पतन के थपेड़ों से हिलेगी-डोलेगी, पर डूबेगी नहीं, यह अवश्य हमें किनारे पर लगाएगी, हम खाली हाथ इस दुनिया में आते हैं और खाली हाथ इस दुनिया से चले जाते हैं इसलिए मनुष्य को समझने का प्रयत्न करना चाहिए कि उसका यहाँ कुछ भी नहीं है,सारी दृश्य और अदृश्य वस्तुएं क्षण भर की हैं यहाँ कुछ भी सदैव के लिए नहीं है,ये सब तो क्षणभंगुर है,हमारी आँखों का