मैं माण्डवी ,मिथिला के राजा जनक के छोटे भाई कुशध्वज की बड़ी पुत्री मांडवी अप्रतिम सुंदरी व विदुषी थी, बचपन से ही सीता को अपना आदर्श मानने वाली मांडवी गौरी की अनन्य भक्त भी थी,श्रीरामचंद्र के धनुष तोडऩे से सीता के साथ विवाह होने से पिता कुशध्वज व मिथिला के महाराजा तथा मांडवी के काकाश्री जनक की सहमति से उसी समय श्रीराम के छोटे व सबसे प्रिय भाई भरत के साथ मुझे विवाह बंधन में बांध दिया गया और अपनी बहन सीता के साथ रहने की प्रबल इच्छा के चलते मैंने इस संबंध को सहर्ष न केवल स्वीकार किया अपितु