बंद घोड़ागाड़ी

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अपनी दसवीं जमात के बोर्ड का सोशल स्टडीज का पर्चा खत्म करते ही मैं अपने कदम परीक्षा केंद्र के साइकिल स्टैंड की ओर बढ़ाती हूँ । तभी देखती हूँ दूर खड़ी मेरी एक सहपाठिनी एक अजनबी को मेरी दिशा में संकेत दे रही है । ’’रेणु अग्निहोत्री?’’ वह मेरी ओर बढ़ आता है, ’’प्रभा अग्निहोत्री की भतीजी? जो अपने फूड पाइप के इलाज के लिए कैंसर इंस्टीट्यूट में भरती हैं ?’’ ’’जी,’’ मैं व्याकुल हो उठती हूँ । ’’वे तुमसे मिलना चाहती हैं । अभी इसी वक्त ।’’ ’’कोई इमरजेंसी?’’ दो दिन पहले फिर बुआ को खून की उलटी हुई