इश्क आख़िरी - 12

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बारिश का मौसम था । बाहर जोर दार बारिश हो रही थी । और उसी बारिश में रेवा अपनी जान बचाने के लिए भागे जा रही थी। उसके पीछे ५/६ लोग पड़े हुए थे जिनके नजरों मैं हवस साफ साफ दिख रही थी। रेवा इतनी थक चुकी थी की अब धीरे धीरे अपने होश खो रही थी। भागते भागते रेवा का पैर नीचे एक पत्थर से टकरा गया वो गिरने ही वाली थी की किसी ने उसे थाम लिया और अपनी बाहों मैं भर लिया। जैसे ही उन आदमियों ने उस शक्स को देखा सभी के पसीने छूटने लगे और