कंक्रीट के महल

  • 3.8k
  • 1.2k

बरसो से चल रहा कार्य आज तेज हो गया । गांव जाते समय देखा ट्रेन में से क्या था क्या हो गया । नदी , नाले ,तालाब , जंगल , गांव । जहा 60 इंच तक बरसात में नदी नाले नही भरा करते थे और आज 20 इंच बारिश पर तो मानो बाड़ से हालात हो जाते है । और बाद में देखो तो वो सारा पानी बह कर निकल जाता है । और फिर सुखा। कंचन नागरी नाम हैं मेरे गांव का। वह दिन गांव के वह राते बीना पंखे के दिन निकल जाते थे और राते आसमा के