सोने की दस अँगूठियाँ ….

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कुशागढ़ के राजा तेजस्वी अपनी प्रजा का बड़ा ही ख़याल रखते थे. समय समय पर अपनी प्रजा से मिलना और महीने में एक बार अपने दरबार में विशिष्ट नागरिकों को आमंत्रित करते थे प्रजा के उन लोगों को सम्मानित भी करते थे जो उनके राज्य का नाम करता था और अगर प्रजा में कोई किसी को समस्या होती हैं राजा से सीधा संवाद कर सकता हैं. राजा का अपने राज्य में ही नहीं अन्य राज्यों में भी बहुत मान था. जब भी राजा अपने अपनी प्रजा से मिलने जाते जगह जगह राजा का स्वागत सत्कार होता.राजा ने अपने सेनापति को