रात के 3 बजे थे फिर भी मुझे नींद नहीं आ रही थी बस यही बत मुझे खाये जा रही थी की कल क्या होगा? ऐसे अनगिनत सवाल मेरे दिमाग़ मे अपना घर बनाये बैठे थे,वैसे देखा जाये तो हम घर मे सिर्फ 3 लोग थे मे मा और पिताजी मे हमेशा किताबों मे खोया हुआ पढना बहोत अच्छा लगता है मुझे इसलिए किताबों से अच्छा कोई दोस्त नही था मेरा,बचपन से लेकर आज तक कोई अच्छा दोस्त नही बना सिर्फ एक मिनी थी मेरी बचपन की दोस्त और कोई दोस्त नही हुआ क्युकी शायद लोग मे जो हु ये