रस्बी की चिट्ठी किंजान के नाम - 13

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अब जो हो गया सो तो हो गया। उसे तो मैं बदल नहीं सकती थी। विधाता मुझे जो सज़ा देगा वो तो भुगतूंगी ही। अपराध तो था ही। कहते हैं कि दुनिया में सबसे बड़ा दुःख है अपनी औलाद का मरा मुंह देखना। पर बेटा, दुनिया में सबसे बड़ी शर्मिंदगी है अपनी संतान को वो करते हुए खुली आंखों से देखना जो तू कर रहा था। मैं चोर की तरह दबे पांव जब दरवाज़ा खोल कर भीतर आई तो तू बिल्कुल उस अवस्था में था, जैसे मेरे पेट से जन्म लेते समय! चलो, तुझे ऐसे देखने की तो मैं अभ्यस्त