मैं सतर्क हो गई। मैंने मन में ठान लिया कि तुझे इस नासमझी से रोकना ही है। अब मैं तेरी हर छोटी से छोटी बात पर नज़र रखने लगी। तुझे पता न चले, इस बात का ख्याल रखते हुए भी मैं तुझ पर निगाह गढ़ाए रहने लगी। तू क्या करता है, कहां जाता है, तुझे मिलने कौन आता है, तेरे दोस्त कौन - कौन हैं और वे कहां रहते हैं, तेरे पास कितनी रकम है... मैं ये सब चुपचाप देखने लगी। मैं उखड़ी- उखड़ी रहने लगी। हर बात में तुझे डांटती, तेरी उपेक्षा करती। लेकिन मैं मन ही मन तुझसे