रस्बी की चिट्ठी किंजान के नाम - 4

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कुछ ही दिनों में मेरी ज़िन्दगी में एक बहुत मज़ेदार दिन आया। मैं आज भी पूरे दिन इस मज़ेदार दिन की बातें चटखारे लेकर करती रह सकती हूं। ये था ही ऐसा। मेरे जीवन का एक अहम दिन। इस दिन मैंने एक साथ सुख और दुख को देखा, एक दूसरे से लिपटे हुए। छोटी सी तो मैं, और इतना बड़ा सुख? छोटी सी मैं, हाय, इतना बड़ा दुःख?? बेटा, ज़्यादा पहेलियां नहीं बुझाऊंगी, वरना तू खीज कर गुस्सा हो जाएगा। बताती हूं। सब बताती हूं साफ़- साफ़। हुआ यूं, कि वो जो अच्छे लोग हमारे जेल में आए थे वो