जीवन का गणित - भाग-8

  • 2.7k
  • 1.3k

भाग - 8आयुषी और वैभव अब साथ-साथ एक नई दुनिया में प्रवेश कर रहे थे।आयुषी के वक्त का एक बड़ा हिस्सा वैभव के साथ बीतने लगा। अब न हॉस्पिटल की ड्यूटी उन्हे थकाती थी, ना देर तक चलने वाली क्लासेस। पहले भी लंच अक्सर कॉलेज कैंटीन में किया करते थे, सभी दोस्तों के साथ। मगर अब आते जरूर दोस्तों के साथ, मगर बैठते आस पास ही थे। भीड़ के बीच भी आयुषी हमेशा वैभव के लिए जगह बचाकर रखती और वैभव सबको पीछे छोड़ आयुषी की बगल में जा बैठता। उनके बीच की नजदीकियां अब क्लासमेट्स भी नोटिस करने लगे