अध्याय 21 दूसरे दिन सुबह 10:00 बजे। भारी हृदय से दो गुलाब की मालाओं को सुंदरेसन की फोटो और रंजीता की फोटो पर डालकर दुख सहन न कर सकने के कारण दीवार पर सिर रखकर सुरभि बिलक-बिलक कर रोई । हेमंत ने उसके कंधे को पकड़ा। उसकी आंखें भी भीगी थी । दामू सोफे पर पसरा हुआ आंख बंद किए हुए था। "सुरभि....! तुम्हारा ऐसे रोते रहना मेरे मन को बहुत कष्ट पहुंचा रहा है..... इन मौतों को भूल नहीं सकते। फिर भी तुम्हें इसे भूलना ही होगा।.... कल से तुमने कुछ भी नहीं खाया..... आओ..... एक घूंट कॉफी ही