अभी तक आपने पढ़ा सभी के मनाने और समझाने के बाद वैजयंती विवाह के लिए मान गई। उसके बाद अशोक ने सौरभ को बुलाकर विवाह की बात कही। सौरभ तो यही चाहता था। ऊषा ने यह ख़बर वैजयंती की माँ को सुनाते हुए उन्हें भी बुला लिया। अब पढ़िए आगे - विवाह की तारीख़ पक्की होते से ही नैना और उसके पति को भी बुला लिया गया। वैजयंती की माँ भी इस शुभ घड़ी में वहाँ उपस्थित थीं। उन्होंने ऊषा और अशोक के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा, “ऊषा जी, आप दोनों ने तो मिसाल कायम कर दी। यह हमारे