एक अश्लील कहानी-(कमलेश्वर की कहानी) नग्नता में भयानक आकर्षण होता है, उससे आदमी की सौन्दर्यवृत्ति की कितनी सन्तुष्टि होती है और कैसे होती है, यह बात बड़े दुःखद रूप में एक दिन स्पष्ट हो ही गई. अनावृत शरीर से न जाने कैसी किरनें फूटती हैं, कैसा उल्लास और कैसी तृप्ति उसमें होती है! एक-एक रेखा का बांकपन नया-नया लगता है. खुला हुआ तन दूर ही सही, पर उसके रोम-रोम में बसी हज़ारों-लाखों आंखें बरबस अपनी ओर खींचती हैं. दिन-भर के थके-हारे क़दम और रातभर अपनी विवशताओं के विचारों से टूटा हुआ मन एक ही जगह केन्द्रित हो जाता है. सब