सूना आँगन- भाग 8

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वैजयंती को श्वेत वस्त्रों में उदास देखकर सौरभ धीरे धीरे उसकी ओर खिंचता जा रहा था। वह चाहता था कि वह वैजयंती की सूनी मांग को एक बार फिर सिंदूरी कर दे। वैजयंती उसकी इस चाहत को पहचान गई थी इसलिए वह उसके सामने कम ही आती थी। एक दिन जब सौरभ उनके घर आया तब क्या हुआ पढ़िए आगे: - सौरभ अंदर आकर सोफे पर बैठ गया। वैजयंती ने पानी लाकर उसे दिया और जाने लगी। तब सौरभ ने कहा, "वैजयंती जी एक कप चाय भी मिल जाती तो अच्छा रहता। घर पर कौन बनाएगा? कोई बनाने वाली भी