यहां... वहाँ... कहाँ ? - 13

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अध्याय 13 दो दिन हो गए। उस दिन शाम को वाकिंग जाकर घर वापस आते समय विवेक.... सोफे पर बैठकर कैनवस शूज को खोल रहा था रसोई को देखकर आवाज दी। "रूबी ! एक आधा गिलास चाय चाहिए। गरम देना...." रुपल अंदर से जल्दी बाहर आई। "क्यों जी.....! मेरा चाय देना रहने दो। आपको कमिश्नर ने फोन किया था....? आपने क्यों नहीं अटेंड किया?" "अरे अरे....!" अपने सिर को पकड़ लिया विवेक ने। सेल फोन को साइलेंट मोड़ पर रख दिया। इसीलिए ध्यान नहीं गया....." विवेक ने सेल फोन उठाकर... कमिश्नर को लगाया। "सॉरी सर! आपके फोन करते समय मेरा