आंसू सूख गए - 1

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बात 1920 के दशक की है । उस समय जहां देखो वहीं गरीबी का आलम था। बहुत ही ऐसे कम परिवार थे जहां पर दो समय की रोटी आराम से मिलती हो । अधिकतर गरीबी से जूझ रहे थे। मैं ऐसी ही परिस्थितियों में एक गरीब किसान के घर में पैदा हुआ, जहां पर कृषि योग्य भूमि तो थी परंतु कृषि उत्पाद बहुत कम था। परिवार में अधिक लोग होने के कारण खाने पीने की समस्या भी थी। वर्षा ठीक समय पर हो गई तो कृषि ठीक हो जाती थी । परंतु वर्षा के अभाव में केवल भुखमरी ही थी।