तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 20

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श्राप दंड - 9" बूढ़ी महिला ने जब अपनी बातों को समाप्त किया तब उनकी आंख में आंसू से भरी हुई थी। इस वक्त पूर्व की तरफ सूर्य कैलाश पर्वत की चोटी पर एक बिंदु की तरह दिखाई दे रहा है। चारों तरफ सफेद बर्फ का आवरण फैला हुआ है। एक ठंडी हवा मेरे बड़े - बड़े बाल व कई दिनों से ना काटे गए दाढ़ी को छू रहा था। मेरा मन अब पहले से काफी हल्का है। मेरे शरीर की सभी थकान दूर हो गई थी लेकिन इसी के साथ मेरे मन में एक बात घूम रहा था कि