अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम

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शहर में दंगा चरम पर था। कहीं से 'अल्लाहो अकबर ' का समवेत शोर उभरता तो कहीं से जोर जोर से ' जय श्री राम 'का गगनभेदी घोष वातावरण में गूँज उठता।टोलियों में घूमते दंगाइयों के अलावा आम जनमानस कहीं नजर नहीं आ रहा था। फूटपाथ पर पुरानी धोतियाँ तानकर बनी अपनी झुग्गी में बैठा दिहाड़ी मजदूर रामू भूख से बिलख रही अपनी चार साल की बेटी गुड़िया को चुप कराने का प्रयास कर रहा था। दंगे की वजह से काम पर जाने का तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता था। घर में जो भी अनाज व राशन वगैरह था