टेढी पगडंडियाँ - 45

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45 गुरजप दीन दुनिया से बेखबर पलंग पर उल्टा हुआ सोया पङा था , बिल्कुल निरंजन की तरह । वह भी इसी तरह सोया करता था । गुरजप के गुलाबी होंठ गुलाब की पंखुङियों की तरह बार बार सांस लेने के लिए खुल जाते । अगले ही पल बंद हो जाते । वह एकटक उसे देखती रही । तभी वह डर गयी । कहीं गुरजप को नजर लग गयी तो ... । यह ख्याल आते ही वह रसोई में गयी । डिब्बे से सात साबुत लाल मिरचें निकाली । फिर दूसरे डिब्बे से साबुत नमक निकाला । बंद मुट्ठी में