टेढी पगडंडियाँ - 44

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टेढी पगडंडियाँ 44 उस दिन सारी दोपहर गुरजप तो शांत सोया रहा पर किरण का वह सारा दिन सोचों में उलझते सुलझते बीता । जबसे ये चाचा भतीजा उसे जबरन उठाकर इस घेर में ले आये थे , ये सवाल उसे हर दूसरे तीसरे दिन परेशान करता रहा था कि उसका समाज में क्या अस्तित्व है । क्या हैसीयत है उसकी इस गाँव में । हवेली में आज तक उसने जाकर नहीं देखा । जबसे वह इस गाँव में लाई गयी है , अब तक सिर्फ एक बार गयी थी वह हवेली । वह भी बाहर डयोढी के फाटक तक